ऊब के गीत

सुनने के लिए

वर्तमान के टुकड़े…

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जैसे जब मैं पर्वतों में था

हरे पेड़, रंगहीन पत्थरों के बीच

मैंने फिर कल्पना की एक निर्मल नदी की

नदी जो हालांकि

पहाड़ की चोटियों से उतर पत्थरों से लड़ टकरा

मेरे सामने से बह निकल रही थी

मैंने उस नदी की कल्पना की

 

जिसमे मेरी अंधी आँखों के सामने श्रद्धालु लोग स्नान कर रहे थे

नदी जो तब वर्तमान थी

असल में वह भविष्य की तरह मेरे अवचेतन पर चस्पा थी.

 

जैसे जब मैं पठारों से होकर गुजरा

पठारों पर वर्तमान में ही सफ़ेद बर्फ की बर्फ़बारी हो गई

संभवतः यह बर्फ़बारी जो भविष्य का हिस्सा थी

तत्क्षण समकालीन थी.

जैसे जब मैं समुद्र तट

रेत पर लिख रहा था अपनी प्रेयसी का नाम

हिंसक लहरें जिसे मिटा मिटा देतीं

मुझे फिर फिर लिखने को

मेरे उसी वर्तमान में

बादलों से होकर गुजरा मेरे वर्तमान का एक जहाज

अतीत के फ्लैशबैक की मानिंद.

जिससे नीचे समुद्र में समुद्री जहाज

समुद्र में लकीरें बनाते कहीं जा रहे होते थे

तब मैं अपने उस तमाम वर्तमान में

अतीत की तरह घटित हुआ

जिसे भविष्य मान लिया गया..!!!

Author: Aditya Shukla

My soul is pessimist.

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