ऊब के गीत

सुनने के लिए

चींटी

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दीवार के उस कोने तक नहीं पहुंचती है रोशनी
या तो अंधेरा रहता है वहां
या परछाईयों के अंधेरे-उजाले

उसी एक ठंडी-अंधेरी दुनिया में
पड़ी है एक टीन की डिबिया।

कुछ पुराने कागज हैं जिसमें
टूटे-अनटूटे कुछ कंचे
कलाई-घड़ी का पुराना फीता
फाउंटेन पेन की एक निब.

वहां, उस टीन की डिबिया तक नहीं पहुंचती है रोशनी

अब चींटियां रहती हैं
टीन की उस डिबिया में
कागज/कंचे/घड़ी का नीला फीता/निब
सब उनका है
अब।

परछाईयां उनकी हैं

ठंडे-रोशनी की सारी दुनिया उनकी है अब।

– आदित्य.

Author: Aditya Shukla

My soul is pessimist.

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