ऊब के गीत

सुनने के लिए

हार

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मैं अपनी हार इस तरह स्वीकार कर लूंगा
लगभग जीतते हुए

लौट जाऊंगा अपने सैनिक
घुड़सवार वापस लेकर
जब तुम्हें लग रहा होगा तुम हार गए
तुम्हारी सेना की टुकड़ी का आकार जब घट रहा होगा
दिन-ब-दिन

जब तुम्हारे माथे पर पड़ने लगेगी शिकन
नींद उड़ जायेगी

मैं जानता हूं जीतने के लिए
मुझे पहले इससे गुजरना होगा
तुम्हारी हार वाली हालत से

मुझे हारना होगा पहले

तुम्हारे हारने से ठीक पहले लौट जाऊंगा मैं
युद्ध-स्थल में तड़पती लाशें छोड़कर,
तुम्हें घर लौटने के लिए छोड़ जाऊंगा

-आदित्य

Author: Aditya Shukla

My soul is pessimist.

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