ऊब के गीत

सुनने के लिए

गिलपरी,

1 Comment

कहानी एक प्यारी गिलहरी थी.. ये गिर आई थी उस पेड़ से, किसी हमलावर पक्षी ने उसे चोंच भी मारे थे..

एक किसी कहानीकार ने उसे उठाया था फिर और मलहम पट्टी किया.. उसने जी भर प्यार किया गिलहरी को. उसने फूलों भरा घर बनाया उसके गिलहरी के लिए फिर. पड़ोस के बागीचे से कहानीकार चुरा लाता काजू और बादाम की फलियाँ.

एक दिन जब काजू चुराते कहानीकार पकड़ा गया, फिर वापस नहीं आया.

फूल गिलहरी उसका रास्ता तकती रही फिर तमाम सदियों तलक.. 

अब भी वो इंतज़ार करती है कहानीकार का, झुरमुट में सर छुपाकर सोती है, देखती है हर आने जाने वाले को.. उसकी नज़र से काजू और मौलश्री की खुशबू बरसती है उन लोगों पर..
अब गिलहरी गीत गाती है जो कहानीकार अधूरा छोड़ गया था.
____________________________________________
आदित्य!*

 

Author: Aditya Shukla

My soul is pessimist.

One thought on “गिलपरी,

  1. badhiya..!! l
    keep it up!!

Leave a comment