ऊब के गीत

सुनने के लिए

पेंटिंग..

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जरा सा भी दिमाग का अवयव मिलाकर
पेंट मत करो दीवारें
यूं पेंट करो कि
तुम्हारी नाक/आंख/कान/घुटना
लाल पीला हरा नीला रंग जाए

यूं पेंट मत करो कि
कोण ढूँढने पड़े
चश्मा लगाना पड़े

कि उड़ान मापे नहीं जाते।

जरा सा दिमाग का अवयव निकाल कर
डाल/फेंक दो डस्टबिन के मुंह में

दीवार पेंट करो तो नायिका की साड़ी बन जाओ
नायक का जूता बन जाओ
चाय की प्याली बन जाओ
विंडोपेन पर बारिश की फुहार बन ठहर जाओ

जरा सा,
बचा खुचा दिमाग का अवयव
निकाल फेंक दो
दिल फाख्ते बनकर उड़ने दो अब!
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आदित्य!*

Author: Aditya Shukla

My soul is pessimist.

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